Makoy Namak Divya v Faydemand Aushadi | मकोय नामक दिव्य औषधि


आपके यकृत में परेशानी का कारण होता है आपका अनियमित खानपान या फिर गलत चीजो के सेवन से भी यकृत पर बुरा असर पड़ता है. इसके और भी कारण हो सकते है जैसे कि शहरी जीवन शैली, तनाव व् काम की अधिकता, निराशा आदि. फिर भी यकृत की कार्यशक्ति बहुत होती है अगर हमारा यकृत 10 प्रतिशत भी ठीक हो तो इससे शरीर को परेशानी नहीं होती. इतनी कम कार्यक्षमता होने के बावजूद यह अपने काम सुचारू रूप से कर लेता है. यकृत के अलावा एक और हमारे शरीर का महत्वपूर्ण अंग है और वह है हमारा हृदय जिस पर हमारे खानपान का बहुत असर पड़ता है. अगर इनमे से किसी भी अंग में विकार आ जाये तो बहुत ही नुक्सान वाली स्थिति बन जाती है.पैसे भी बर्बाद होते है और शरीर का भी बहुत ही नुकसान होता है.

इस तरह के नकसान से बचने के लिए हमें उन चीजो का त्याग कर देना चाहिए जो हमारे स्वास्थ्य को नुक्सान पहुंचती है. और किसी रोग के इलाज से बड़ा है परहेज. और अगर हम उन कारणों का पहले ही पता कर लेते है जिनसे की रोग होते है तो हमारे शरीर में रोग कभी भी नहीं लग सकते. लेकिन फिर भी कोई ना कोई रोग लग ही जाता है और उसका तो इलाज करना ही पड़ता है. और सभी रोगों का इलाज हम उन औषधियों द्वारा कर सकते है जो प्रकृति द्वारा हमें मुफ्त में या बहुत कम कीमत पर दी जाती है. इनमे से तो कुछ औषधि ऐसी होती है जिन्हें हम बेकार समझते है और ऐसे ही फ़ेंक देते है. परन्तु हमें इनका महत्व समझ कर इनको नष्ट होने से बचाना चाहिए ताकि आने वाले समय में हम इनका इस्तेमाल करके अपनी बिमारियों का इलाज कर सके. ऐसी ही एक औषधि का नाम है मकोय. जिसको के अलग अलग भाषाओ में अलग नाम दिए गए है जैसे कि संस्कृत में इसका नाम है काकमाची. चरगोटी, चरबोटी, क्बैया या गुरुमकाई, इत्यादि भी इसके अन्य नाम है. इसके अलावा गुजरती में पिलुड़ी, मराठी में लघु कावडी, और मुंबई में इसको घाटी कामुनी, या मको का नाम दिया गया है. पंजाबी में इसको कचमच, मको या कासफ के नाम से जाना जाता है. इस औषधि का एक अंग्रेजी नाम भी है कामन नाईट शेड. 
 
मकोय नामक दिव्य औषधि
मकोय नामक दिव्य औषधि
पहचान :
यह दिखने में बिलकुल मिर्च के पौधे जैसा लगता है. यह लगभग 3 फीट तक की उचाई का हो सकता है. इस पर जो फूल लगते है वो भी बिलकुल मिर्च के पौधे पर लगने वाले फूलों जैसे ही होते है. और इसकी जो डालियाँ होती है वे बिलकुल वैसी ही होती है जैसी मिर्च के पौधे की होती है. इस पर लगने वाले फलों का आकर छोटा ही होता है और वे समूह में होते है. यह गोल आकर में होते है. और जब ये पाक जाते है तो इनका रंग काला पड़ जाता है. इस पर लगने वाले फूल मिर्च के पौधे जैसे छोटे होते है और उनका रंग सफ़ेद होता है.

मकोय के गुण व् प्रभाव - 
मकोय का उपयोग करके हम तीन प्रकार के दोषों को ख़त्म कर सकते है इन दोषों में त्रिदोनाशक अर्थात वात, पित्त व् कफ शामिल है. स्वाद में यह बहुत कडवा होता है.इसकी प्रकृति गरम, स्निग्ध, स्वर शोधक, रसायन, वीर्य जनक होती है. और इसके सेवन से कोढ़, बवासीर, ज्वर, प्रमेह, हिचकी, और नेत्र रोगों का उपचार किया जा सकता है. इसका उपयोग यकृत व् हृदय सम्बन्धी दोषों को दूर करने के लिए किया जाता है. जब यकृत ठीक अवस्था में काम नहीं कर पता है या उसकी कार्य करने की शक्ति कम हो जाती है तो हमारे शरीर में अनेको रोग हो जाने का खतरा उत्पन्न हो जाता है या फिर रोग लग ही जाते है जैसे कि सुजन, पतले दस्त, पीलिया, जैसे रोग और बवासीर इत्यादि. इस प्रकार के रोग हो जाने पर मकोय का इस्तेमाल करने से इनसे मुक्ति मिलती है. इन रोगों को आसानी से दूर करने में मकोय नाम की यह औषधि बहुत ही गुणकारी है. बीमारी की अवस्था में इसका सेवन करने से यह यकृत की कार्यविधि की क्षमता को बढाने में सहायक है. इससे वे सभी रोग दूर किये जा सकते है जो यकृत को कमजोर करते है और उसकी कार्यविधि पर असर करते है. मकोय का रस बहुत ही लाभदायक है. इसके रस के सेवन से आंतो में इकट्ठे हुए विषों को ख़त्म कर दिया जाता है और यह पेशाब के रास्ते से बाहर निकल जाता है.  
 
Makoy Namak Divya v Faydemand Aushadi
Makoy Namak Divya v Faydemand Aushadi
इसके अलावा इस औषधि के रस के सेवन से शरीर में कहीं भी सुजन हो या फिर यकृत की सुजन हो, में आराम मिलता है इसके अलावा यह खुनी बवासीर में भी बहुत ही लाभप्रद है. यदि किसी भी प्रकार का हृदय रोग है तो उसमे मकोय का फल खाने से तुरंत ही आराम मिलता है. पेट के रोग भी इसके रस का सेवन करके मिटाए जा सकते है. और इसके अलावा यदि कोई व्यक्ति नेत्र रोग से पीड़ित है तो ऐसी अवस्था में मकोय का रस तो उस व्यक्ति के लिए मानो अमृत के समान है इससे उसके नेत्र सम्बन्धी विकार तो दूर होते ही है साथ में नेत्र रौशनी बढाने में भी बहुत ही लाभकारी है. इन सब रोगो के अलावा भी यह कुछ अन्य रोगों में भी बहुत ही गुणकारी साबित होता है जैसे तिल्ली की सुजन, यकृत की सुजन, यकृत के पुराने से पुराने रोग भी इसके रस के सेवन से मिटाए जा सकते है.

मकोय का रस तैयार करने के लिए हमें मकोय के रस निकाल कर उसे एक मिटटी के बर्तन में रखना चाहिए. अब इसके बाद उसको धीमी आंच पर गर्म करना चाहिए और जब तक वेह हरा रंग बादामी रंग ना बाल ले तब तक उसे गर्म करना चाहिए और बादामी रंग होने पर इसको उतर कर एक साफ़ बर्तन में छान ले.

यकृत के रोग, बड़ी हुयी तिल्ली, हृदय सम्बन्धी रोग, और शरीर में खुजली जैसे रोग दूर करने के लिए मकोय के रस की 100 से 150 ग्राम मात्रा काफी होती है यदि इसके बाद भी शरीर की खुजली नहीं मिट रही है तो रोजाना 20 से 25 ग्राम तक इसकी मात्रा का सेवन करने से निश्चित ही यह दूर हो जाएगी. रक्त को शुद्ध करने के लिए भी यह रस बहुत ही लाभदायक होता है. इसका रस एक प्रकार के रिएक्शन से भी हमें बचाता है जो कि एलोपैथिक दवाओ के इस्तेमाल से उत्पन्न होता है

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