This story is the
realty of the greatness of mother
how much pain and bother mother face during
the
birth of baby etc
Mothers Debt |
माँ का ऋण एक रोचक कथा
स्वामी विवेकानंद से
एक युवक
ने कहा
कि महाराज
जी कहते
है की
माँ का
ऋण चुकाना
बहुत मुस्किल
होता है।
विवेकानंद जी ने
इस का
उत्तर प्रयोगिक
तरीके से
देने के
लिए उस
युवक से
कहा :- थोड़ी
हिम्मत करके
यह जो
पत्थर है
इसको अपने
पेट पर
बांधकर अपने
काम पर
जाओ और
शाम को
मिलने को
कहा।
The Interesting Story |
ढाई तीन किलो
का वजन
पेट पर
बंधा हो
तो काम
कैसे होता
है कैसी
हालत होती
है।
वह थका हरा शाम को
विवेकानंद जी के पास पहुंचा
और पूछा
की माँ
का ऋण
कैसा होता
है यह
जानने के
लिए बहुत
कष्ट झेलना
पड़ा है
अब बताओ
की माँ
का ऋण
कैसा होता
है .
यह पत्थर तुम्हें
बंधे हुए
एक ही
दिन हुआ
है , ज्यादा
तो नहीं
हुआ , और
तुम्हारा एक
ही दिन
में बुरा
हाल हो
गया ,और
जो माँ
कई महीनो
तक तेरा
बोझा लेकर
घुमी है
उसने कितनी
पीड़ा सही
होगी।
उसने तो कभी नहीं कहा
होगा।
इससे ज्यादा कोन सा प्रयोग जानना
चाहोगे।
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