Bhartiya Naujawano Jago | भारतीय नौजवानों जागो | Wake Up Indian Young Men in Hindi

भारत की पवित्र भूमि की एक खासियत है कि यहाँ कभी सुभाष चन्दर बॉस कभी भगत सिंह तो कभी दयानंद तो कभी कोई विवेकानंद हो जाता है।  यह भूमि कभी विरहीन नही हुई।  यह हजारों वर्षों का भारतीय भूमि का इतिहास है।  इससे पश्चिमी देशों को डर लगता है।  इस डर के कारण पश्चिमी देशों के लोगों  ने अपने डर को निकालने के लिए  ऐसी नीतिया शुरू की जिससे हिंदुस्तान में कोई भी स्वामी  विवेकानंद  न होने पाये। हिंदुस्तान का हर नागरिक माइकल जैक्शन बन जाय।  अगर यहाँ दूसरा विवेकानंद बन गया तो विदेशी कम्पनियों को  मार भगायेगा।  इसकी तैयारी में वे लोग वर्षों से लगे हुए है।  हिंदुस्तान के युवाओ का चरित्र ख़त्म हो और वे भारतीय संस्कृति को ही बेचने का काम करें।  इस नीति को सफल बनाने के लिए  उन्होंने  बहुत सारे  टी वी चैनल भारत में शुरू कियें है।  जिन पर  दिन रात मनोरंजन के नाम पर लोगों का चरित्र बिगड़े ,लोग अपनी संस्कृति से भर्मित हों ऐसे प्रोग्राम दिखाए जाते है। यह मनोरंजन नहीं बल्कि हमारे चरित्र को बर्बाद करने का एक साधन है।  किसी भी घर में जाकर देखो वहीँ टी वी चल रहा होता है।  पूछो कि क्या कर रहे हो तो यही जवाब मिलता है के दिन भर के थके हारे है कुछ मनोरंजन तो चाहिए न।  बच्चे , बूढ़े, जवान , सभी एक साथ बैंठकर क्या देख रहे हैं ? अश्लील दृश्य अश्लील गाने जो हम अपनी माता बहनों के सामने देख सुन या गा नहीं सकते  ऐसे अश्लीलता देखकर परिवार पर क्या असर होता है , ये सब जानते है।  आजकल के गीतकारों ने गीत क्या लिखे के अपने शरीर के साथ अपनी तक को बेच डाला। हमारी संस्कृति में जहाँ मातृ देवो भव:  पितृ देवो भव: गुरुदेवो भव: अतिथि देवो भव: का संस्कार सिखाया जाता है , वहां ऐसे अश्लील गाने व् अंग प्रदर्शन दिखाकर संस्कृति का विनाश नहीं तो और क्या हो रहा है।  
 
Wake Up Indian Young Men in Hindi
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यह मनोरंजन के नाम पर हर घर में सुलगती ऐसी आग है जो भड़कती  है तो आप देख भी नही सकते कि आपके बच्चे आखिर कर क्या रहे है।  आजकी फिल्मों में अश्लीलता और हिंसा के अलावा कुछ नहीं परोसा जाता है।  आप आपने बच्चों को डॉक्टर , इंजीनियर , टीचर आदि उंच पद  पर पहुचना चाहते है लेकिन  उनको दिखा क्या रहे है।  एक बच्चा दिन में लगभग ४ से ५ घंटे  टेलीविज़न देखता है खाना खता है तो टी वी और पढ़ो तो टी वी , माँ खेलने को कहे तो भी खेल की बजाय टीवी देखना पसंद करता है।  और सांगत का असर १०० % होता है।  फिल्मो में रोज ४ से ५ घंटे अश्लीलता और हिंसा देख देखकर २० वर्ष की आयु तक हजारो बलात्कार व् हत्याओ के दृश्य देख चूका होता है।  सोचो उस अबोध बालक के मन पर कितना इन दृश्यों की कितनी पक्की छाप पड़ चुकी होती है।  यहाँ पर एक विशेष बात सोचने की है कि बचपन के दृश्यों  का असर युवा होते होते पक्का हो चूका होता है।  गांधी जी जब छोटे थे तब उन्होंने सत्यवादी राजा  हरिश्चंद्र का नाटक दो बार देखा था।  उनके बालक मन पर उस नाटक का इतना असर हुआ कि वो छोटा बालक आज भी महात्मा गांधी जी के नाम से पूजा जाता है।  जब दो बार के नाटक का दृश्य दिमाग पर इतना असर डालता है तो हजारों बार हत्या ,बलात्कार, हिंसा आदि का दृश्य देखने वाले बलात्कारी , अत्याचारी, हिंसक उचक्के , लफंगे नही बनेंगे तो और क्या बनेंगे।  ऐसा कोई स्कूल विद्यालय या कॉलेज नहीं है जहां पर ऐसी गन्दी शिक्षा दी जाती हो, लेकिन फिर भी सड़क पर लड़की जा रही है तो लफंगे सीटियां बजाते मिलजाएँगे। ५ - १० साल की बच्चियों को भी नही छोड़ा जा रहा। उन्हें अंधी हवस का शिकार बनाया जाता है।  इतनी हैवानियत और दुष्ट प्रवृति  वाले लोग कहाँ से आते है येकौन इनको ट्रेनिंग दे रहा है ? घर में भी ये सब नही सिखाया जाता।  फिर भी ये लोग कहाँ से आ जाते है।  इसकी दो ही वजह खास है एक तो टी वी एक सिनेमा।  बच्चा बार बार मारामारी , बलात्कार, हिंसा आदि के घृणित दृश्य देखकर उसके हृदय से प्रेम व् दयाभाव ख़त्म हो जाता है। और हमारे शास्त्रों में यही समझया गया है की जब हृदय से दया ही खत्म हो जाती है तो धर्म भी कैसे बचेगा।
भारतीय नौजवानों जागो
भारतीय नौजवानों जागो

यह हिंसा हमे जानबूझकर दिखाई जाती है।  हमे ऐसे दृश्यों का आदि बनाया जाता है।  ऐसा नहीं  है कि  अच्छे प्रोग्राम दिखाने  वाले लोग नहीं है।  लेकिंग जानबूझकर हमे सेक्स परोसा जाता है।  क्योँकि चंचल  मन ऐसे दृश्यों को जल्दी ग्रहण करता है। सिनेमा व् टीवी पर मारामारी देखकर हमारा कोमल हृदय इतना कठोर हो चूका है के हमारे सामने कत्ल हो जाता है और हम चुपचाप निकल जाते है।  चलचित्र के इस आक्रमण को रोकना होगा नहीं तो हमारा घर भी नहीं बचेगा।  देश व् समाज तो दूर की बात है।  हर माँ बाप के लिए उनकी संतान ही सबसे लाड़ली होती है।   बेटे की शादी के बाद दहेज़ कम लेन पर हम बहु बेटियों को जिन्दा जला देता है। ये कैसा कठोर हृदय हो गया है हमारा की जिन्दा इंसान को कुछ सामान या पैसे के लिए जला देते है।  ऐसे बहुत से तथ्य है जिनको जान लेने पर हमे चाहिए कि आज से हे अपने कुल वंश परिवार की रक्षा  करनी चाहिए। 
Bhartiya Naujawano Jago
Bhartiya Naujawano Jago


सभी देशप्रेमियों को मिलकर ऐसे चैनलों के विरुद्ध एकजुट होकर आवाज उठानी चाहिए।  हमारे जीवन का उत्थान करने वाले अच्छे गुण सम्पन्न प्रोग्राम दिखने चाहिए।  क्योकिं अपने भाग्य के विधाता हम खुद ही है।


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