परमहंस योगानंद
जी महाराज ने ओमकार मंत्र की उपासना की हुई थी।
ओमकार मंत्र की उपासना करके परमहंस योगानंद जी अमेरिका गए। परमहंस योगानंद जी ओम का चिंतन करके आत्ममस्ती
में रहते थे। उनका मानना था की मेरा आत्मे
और सबका आत्मा एक ही है , सभी के हृदय में मेरा परमात्मा बसा हुआ है , ऐसा भाव रखकर वे लोगों को प्रेम भरी निगाहों से निहारते
थे। तो उनके ऐसे भावों के कारण लोगों में
प्रेम ,उल्लाहस आने लगता, और हिम्मत आने लगती।
लोग उनके शिष्य बनजाते।
Power of Spells |
एक बार मिलिट्री
के लोगों ने परमहंस जी से कहा - महाराज आपके पास बैठने से ही हमारे मन में आनंद
आने लगता है। आप कहते है की हमे भगवन की
भक्ति करनी चाहिए , सभी में परमात्मा को देखना चाहिए किन्तु हम तो
ठहरे फौजी, हम युद्ध में सफल हो सकें, हमें तो ऐसी शक्ति चाहिए।
Mantra Shakti |
इसपर योगानंद जी न कहा --कि लोगों के हथियारों से हमारे ओम की शक्ति
ज्यादा है।
फौजियों ने कहा
की महाराज हम इसका प्रत्यक्ष उदाहरण देखना चाहते है।
मंत्र शक्ति का उदाहरण |
परमहंस जी ने कहा
--ठीक है , चलो प्रत्यक्ष अनुभव करा देता है। और वो अधिकारीयों , कमांडर व् अन्य
लोगों के साथ वहां गए ,जिस स्थान पर अभी नया पुल बनकर तैयार हुआ
था। परमहंस जी ने कहा -- यह पुल आप लोगों
ने बनाया है , अगर इसको तोडना हो तो आपको कई मशीनो, हथियारों या तोपो की आवश्यकता पड़ेगी।
लेकिंग मैं काफी दूर रह कर भी इस
पुल को बिना किसी मशीनी सहायता अपने ओम की पवित्र शक्ति से गिरा सकता हू।
लोगों को ऐसा
सुनकर बड़ा आश्चर्य हुआ , और कहा की ऐसा करके दिखाए।
योगानंद परमहंस
जी उस पुल से काफी दूर चले गए और आत्मचिंतन करते हुए ध्यानस्थ हो गए। ओमकार का जप करके भूमध्य में ओम की शक्ति को
केंद्रित करके उन्होंने अपने दोनों हाथों
को उठाया और बलपूर्वक कुछ तोड़ने की मुद्रा
में हाथों को झटका दिया तो ये क्या सप्ताह पूर्व बना वो भारी भरकम पुल झट
से टूट गया।
मिलिट्री के लोगो
ने आश्चर्य से मंत्र शक्ति का ये चमत्कार देखा।
ये था मंत्र
शक्ति का महा अनुभव।
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